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गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी का त्यौहार भादो महीना मे मनाया जाता हैं। इस साल 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी मनाया जायेगा, वैसे तो यह त्यौहार पुरे भारत मे धूम -धाम से मनाया जाता हैं परंतु मुंबई मे यह बहुत ही बड़े पैमाने मे मनाया जाता हैं, गणेश चतुर्थी मुंबई का सबसे बड़ा त्यौहार हैं, मुंबई के हर लोग इस त्यौहार को बड़े धूम -धाम से मनाते हैं। बड़े बड़े पंडाल बनाया जाता हैं और भारत का सबसे बड़ा गणेश का मूर्ति भी मुंबई मे बनाया जाता हैं। मुंबई का गणेश चतुर्थी देखने के लिए लोग बहुत दूर -दूर से आते हैं। गणेश चतुर्थी 10तो कही 11 दिन का मनाते हैं मुंबई मे यह 11 दिन का मनाया जाता हैं 10 दिन गणेश कि पूजा अर्चना किया जाता हैं और 11वा दिन गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता हैं, विसर्जन नदी, तालाब और समंदर मे किया जाता हैं। गणेश को बहुत नाम से पुकारा जाता हैं परंतु सबसे प्रसिद्ध नाम बाप्पा मोरिया हैं। गणेश जी को मेवा बहुत पसंद हैं इसलिए ज्यादातर मेवा चढ़ाया जाता हैं गणेश जी को।


गणेश का जन्म कैसे हुआ, गणेश कि कथा, गणेश पूजा कैसे मनाया जाता हैं, गणेश जी जा सवारी चूहा कैसे बना सब आगे पता चलेगा तो हमारे साथ बने रहे। 


गणेश का जन्म कैसे हुआ 


गणेश जी कि जन्म कि बहुत सारी कथा हैं उनमें से एक यह हैं कि एक दिन पार्वती जी कैलाश पर्वत मे अकेली थी, पार्वती जी का मन नहाने को कर रहा था तो वह नहाने के लिए गयी, माना जाता हैं कि गणेश जी को पार्वती जी का मन वही पे गणेश जी को बनाने का हुआ था तो पार्वती जी ने उबटन लगा के मैल निकाल रही थी और ज़ब मैल निकल गया तो उसी मैल से गणेश जी को बनाया गया। ज़ब गणेश को बनाया गया था तो पहले वह भी इंसान कि ही तरह दिखते थे। 




गणेश जी और शिव जी का सामना 


एक दिन माता पार्वती जी नहाने जा रही थी तो उसने अपने प्रिय बेटा गणेश को कहा कि मैं नहाने जा रही हो तो तुम्हें किसी को भी अंडर आने नहीं देना हैं तो माता पार्वती कि आज्ञा का पालन करते हुए गणेश जी बाहर खड़े हो के पहरा करने लगे, अचानक से एक युवक को आते हुए गणेश जी ने देखा वह युवक और कोई नहीं शिव जी थे परन्तु गणेश जी शिव को नहीं पहचानते थे तो शिवजी जैसे अंडर जाने लगे तो गणेश ने उनको रोक दिया तो इससे शिव जी बहुत क्रोधित हो गए और गुस्सा से उन्होने गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती जी देखे कि शिव जी गुस्सा हैं तो उनको लगा कि खाना नहीं दिए आज इसलिए गुस्सा हैं तो उन्होंने जल्दी से 2 थाली लगाया तो शिव ने कहा 2थाली क्यू तो पार्वती जी ने कहा एक आपका और एक बेटा गणेश का। बेटा गणेश कौन शिव ने कहा तो पार्वती ने कहा कि जो बाहर पहरा दे रहा था वही तो शिव ने कहा उसे तो मैंने एक दुस्त बच्चा जो मेरा रास्ता रोक रहा था इसलिए मैंने उसका वद कर दिया। यह सुन के माता पार्वती जी खूब क्रोध से आगबगूला हो गए और धरती का विनाश करने का धमकी दिए इससे शिव जी तुरंत अपने अनुवायी को एक बच्चे का सर ढूंढने को कहा कि जो माँ अपने बच्चे कि opposite सो के हो तो एक हाथी का बच्चा मिला तो हाथी के बच्चे का सर काट के ले आया, फिर शिव ने हाथी का सर गणेश मे लगा दिया और वह फिर जिन्दा हो गया। इसके बाद पार्वती जी ख़ुश हो गयी। 



गणेश पूजा मनाने कि विधि 


गणेश पूजा मनाने के लिए सबसे पहले घर मे गणेश जी कि मूर्ति बैठाया जाता है। कई प्रकार के भोग बनाया जाता हैं। मूर्ति को शुद्ध जल से नहाया जाता हैं फिर फूलो से सजाया जाता हैं और फिर ज्योति जलाया जाता हैं। इस समय विभिन्न प्रकार के मंत्र का जाप किया जाता हैं फिर पूजा के बाद प्रसाद बता जाता है। 


गणेश जी को ज्ञान का देवता क्यू कहा जाता हैं 



एक दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों को गणेश और कार्तिक को ब्रहमांड की 3चक्कर पूरा कर के आने को कहा तो कार्तिक ने अपनी सवारी मोर को ले के चल पड़ा परंतु गणेश ने माता पार्वती और शिव जी का तीन चक्कर लगाया के कहा मेरा पूरा ब्राह्मण तो आपलोग ही हो। यह सुन के दोनों बहुत प्रसंद हुए और उन्होंने ज्ञान का फल गणेश को दिया तब से गणेश को ज्ञान का देव कहा जाता है। 


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