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हमारे आपसबके हुज़ूर मुहम्मद S. A. W की पैदाइश और वाक़िया

 बिस्मिल्लाह, सबसे पहले में ऊपर वाले से माफ़ी चाहूंगा की यदि मुझसे कुछ लिखने में कुछ गलती हो जाए तो मुझे माफ़ कर दे, क्यूकी मुसलमान भाई और ख़वातीन को तो अच्छा से पता ही हैं पर में ग़ैरकोम को भी बताना चाहूंगा की हमारे नबी मोहम्मद S. A. W(हाशिम  ) हाशिम नाम हमारे नबी की अम्मीजान आमिना बीबी ने प्यार से रखा था। हा तो में बता रहा था की हमारे नबी तो हमें प्यारे हैं ही पर अल्लाह को भी सबसे प्यारे हैं, इसलिए में माफ़ी मांग रहा हुँ की यदि कुछ लिखने में गलती हो तो माफ़ करें। 

हमारे नबी S. A. W(मोहम्मद ) की पैदाइश मक्का में जो सऊदी अरब में हैं 23 अप्रैल 571 को हुआ था (कही कही और भी दिन हो सकते हैं )। हमारे नबी हैं तो साधारण बच्चा तो है नहीं तो एक वाक़िया आपलोग ने सुने होंगे, यदि नहीं तो में बता रहा हुँ। 



ज़ब हमारे नबी इस दुनिया में आये तो आप सभी इंसानी बच्चो से अलग थे, आप ज़ब पैदा हुए तो आप की बदन से बहुत ही शानदार खुशबु आरही थी, अबकी नाभि पहले से ही सही था, आम बच्चों का काटना पड़ता हैं, क्यूकी  आंत के साथ नाभि जुड़ी होती हैं, ज़ब माँ की पेट में बच्चा 9महीना रहता हैं तो बहुत सारी गन्दगी जमा रहती हैं, और ज़ब बच्चा पैदा होता हैं तो डॉ साफ करता हैं, पर हमारे नबी के साथ ऐसा नहीं था, हमारे नबी बहुत ही पाक हो के इस दुनिया में आये थे, कुछ साफ करने की ज़रूत नहीं पड़ी, कोई गंदगी नहीं थी, नाभि  भी सही थी, खूबसूरत खुसबू आरही थी, ख़तना माँ के पेट से ही किया हुआ था, ज़ब आप माँ के बगल में लिटाया गया तो आप तुरंत सजदा किए, यह देख के सब हैरान थे, फिर उसके बाद आपकी अम्मी ने गोदी में लिया तो, अचानक से दिवार चीर के एक fog (या बादल जैसा कुछ आया ) फिर आप किसी को नज़र नहीं आरहे थे, बस एक आवाज़ आरही थी, इस बच्चे को पूरब -पच्छिम, उत्तर -दक्षिण, सब तरब घुमा दो और इसकी पहचान करा दो, और कह दो इसके पीछे (आपके पीछे )जो चलेगा वह कामियाब होगा और जो नहीं चलेगा वह बेकामियाब। 



इसके बाद एक और आवाज़ आयी, इसे आदम की अखलाख दो, इसे शीर्ष की मारिफ़त दो, इसे nooh की बाहदुरी दो, इसे इब्राहिम की दोस्ती दो, इस्माइल की क़ुरबानी दो... ऐसे बहुत सारी नियमतें मिली, आप किताब में पढ़ सकते हो, कुरआन सरीफ में अल्लाह ने बहुत ही खूबसूरत तरीके से हमारे नबी को बयान करता हैं। 

हम मुसलमानो को हमारे नबी से बहुत कुछ सिखने की ज़रूरत हैं, सबसे पहले नमाज़ पढ़ना, जो हमलोग भूल चुके हैं, दूसरा की आप गैर कौम की इज़्ज़त करें। 

और भी वाक़िया हैं, आएगा, आपलोग जुड़े रहे 


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