तेरे इश्क़ में', आनंद एल राय डायरेक्टर, धनुष-कृति सेनन की जोड़ी, ए.आर. रहमान का म्यूज़िक – बाप रे, क्या कमबैक है यार! रांझणा का स्पिरिचुअल सीक्वल जैसा फील है, लेकिन इस बार क्लास डिफरेंस का तड़का, एयर फोर्स वाला एक्शन, और टॉक्सिक लव का फुल डोज़। मैंने थिएटर में देखा, बाहर निकल के दिल धक-धक कर रहा था – हँसी भी आई, गुस्सा भी आया, आँसू भी छलक आए। चल, सीट बेल्ट बाँध ले भाई, पूरा डिटेल में बताता हूँ, ! भाई, मूवी की शुरुआत ही ऐसी है कि बस होश उड़ जाते हैं। लद्दाख की बर्फीली वादियों में ओपनिंग सीन – हमारा हीरो शंकर (धनुष) इंडियन एयर फोर्स का पायलट है, दुश्मन के साथ इंस्टिंक्ट पर फाइट कर रहा है। आसमान में जेट्स उड़ रहे हैं, गोलियाँ चल रही हैं, और बैकग्राउंड में रहमान साहब का बीजीएम ऐसा बज रहा है जैसे दिल में बिजली कौंध रही हो। शंकर बच जाता है, लेकिन वो ट्रॉमा कैरी करता है – पुरानी लव स्टोरी का दर्द, जो उसे तोड़ चुकी है। फिर कट टू बनारस, गंगा के किनारे, घंटों की आवाज़, मंदिरों का शोर – पूरा शहर जीवंत लग रहा है। यहाँ शंकर का बैकफ्लैश शुरू होता है, कॉलेज डेज़ में। दिल्ली यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट है वो, गुस्सैल, गली का छोरा, माँ के बिना बड़ा हुआ (प्रकाश राज पापा का रोल, जो सॉलिड सपोर्ट सिस्टम है)। राजनीतिक राइवल्स को पीट-पीट के हड्डियाँ तोड़ता है, गुस्सा ऐसा कि "अगर मैं प्यार में पड़ गया, तो पूरी दिल्ली जला दूँगा" वाला डायलॉग मारता है। भाई, धनुष का वो स्वैग देख के लगता है – ये तो असली का जुनूनी आशिक है!फिर एंट्री होती है मुक्ति की (कृति सेनन) – पीएचडी स्कॉलर, अमीर घर की बेटी, आईएएस पापा (टोटा रॉय चौधरी) की राजकुमारी। वो साइकोलॉजी पढ़ रही है, लव पर रिसर्च कर रही है – 2200 पेज की थीसिस, जिसमें लिखा है कि लव प्रैक्टिकल नहीं, सिर्फ़ इमोशन है। शंकर को पहली नज़र में प्यार हो जाता है, लेकिन मुक्ति का इंटरेस्ट सिर्फ़ एकेडमिक है। वो शंकर को अपने एक्सपेरिमेंट का गिनी पिग बनाती है – "तुम्हारा गुस्सा कंट्रोल करो, तो लव हो सकता है"। भाई, पहली मुलाकात का सीन – कॉलेज कैंपस में, बारिश हो रही है, शंकर मुक्ति को देख के फ्रीज़ हो जाता है, भाग खड़ा होता है। हँसी आ गई यार, लेकिन वो क्यूटनेस ऐसी कि दिल पिघल गया। धीरे-धीरे नोक-झोक शुरू होती है, शंकर का देसी अंदाज़, मुक्ति का क्लासी ऐटिट्यूड – केमिस्ट्री कमाल की है। एक सीन है जहाँ शंकर मुक्ति को इम्प्रेस करने के लिए बनारस की गलियों में घुमाता है, गंगा आरती दिखाता है, और बोलता है "इश्क़ वो नहीं जो मिल जाए, इश्क़ वो है जो तोड़ भी दे"। रहमान का टाइटल ट्रैक "तेरे इश्क़ में" बजता है, और स्क्रीन पर वो जादू... भाई, थिएटर में सब सन्न हो गए, कोई ताली नहीं, बस सांस रुक गई।पहला हाफ फुल ऑन रोमांस + कॉमेडी + इंटेंसिटी का तूफान है। धनुष का परफॉर्मेंस – वाह यार! वो गुस्सा, वो प्यार, वो वल्नरेबिलिटी – हर फ्रेम में चमक रहा है। कृति भी कमाल, कई साइलेंट मोमेंट्स में चमकती है, जैसे जब वो शराब पी के टूट जाती है। साइड कैरेक्टर्स – प्रकाश राज पापा के रोल में हार्टबीट हैं, हर बार गलत होते देख के सीना दुखता है। प्रियांशु पैनयुली और मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब का कैमियो रांझणा को जोड़ता है। डायलॉग्स कड़क हैं – "इश्क़ लड़ता है, हारता नहीं" या "तू मेरी मुक्ति है, लेकिन तेरी मुक्ति में मैं कैद हूँ"। विज़ुअल्स टॉप क्लास, बनारस की गलियाँ, एयर फोर्स के एक्शन सीन – सिनेमाटोग्राफी ने कमाल कर दिया। लेकिन हाफवे पर इंटरवल ट्विस्ट – क्लास डिफरेंस बाहर आता है। मुक्ति के पापा को पता चलता है, शंकर को अपमानित करते हैं "तुम जैसे गरीब लड़के हमारी बेटी के काबिल नहीं"। शंकर का गुस्सा फूटता है – मुक्ति के पोटेंशियल बॉयफ्रेंड्स को पेट्रोल डाल के धमकाता है, पापा के घर पर फायरबॉम्बिंग! भाई, वो सीन देख के गुस्सा आया, लेकिन थिएटर में तालियाँ बज गईं। इंटरवल पर बीजीएम ने रोंगटे खड़े कर दिए।
अब दूसरा हाफ – यहीं से मिक्स्ड बैग शुरू होता है। ब्रेकअप हो जाता है, शंकर एयर फोर्स जॉइन कर लेता है, लेकिन ट्रॉमा साथ ले जाता है। मुक्ति टूट जाती है, अल्कोहलिक हो जाती है। फिर रीयूनियन – शंकर वापस आता है, लेकिन अब रिवेंज का एंगल आता है। क्लाइमेक्स में बनारस पहुँचते हैं, एक पुजारी (ज़ीशान अय्यूब) लव, डेथ और सल्वेशन पर लेक्चर देता है। शंकर और मुक्ति का फाइनल कन्फ्रंटेशन – "मैं तुझे तीन ऑप्शन देता हूँ: छत से कूद जा, मुझे गोली मार दे, या मेरा गला घोंट ले"। मुक्ति बोलती है "मेरा गला घोंट दे"। भाई, वो मोमेंट माइंड ब्लोइंग! आँसू आ गए, लेकिन साथ ही सवाल भी – ये टॉक्सिक लव को ग्लोरिफाई तो नहीं कर रहा? रिवेंज, वायलेंस, ऑब्सेशन – 2025 में ये पुराना लगता है, जैसे एनिमल या कबीर सिंह का रीमेक। स्क्रिप्ट स्ट्रेच्ड है, कुछ सीन अननेसेसरी, जैसे एक्स्ट्रा मेलोड्रामा। लेकिन जब हिट करता है, तो स्टॉर्म की तरह। क्लाइमेक्स परफेक्ट है, गूज़बम्प्स आ गए, और एंड क्रेडिट्स में वो पोस्ट-क्रेडिट सीन... हाहा, कबीर सिंह, एनिमल वाले आ जाते हैं "टीम असेंबल कर रहे हैं" – चिल्स यार!म्यूज़िक की बात करूँ तो रहमान साहब ने कमाल कर दिया। टाइटल ट्रैक "तेरे इश्क़ में" आज भी कान में गूँज रहा है, सूफी वाला "दीवाना दीवाना" हार्ट रेंचिंग, जज़ वाला "जिगर ठंडा रे" अटमॉस्फेरिक। लेकिन कुछ ट्रैक्स मिस हो गए, जैसे चिन्नावर – अच्छा है लेकिन इम्पैक्ट कम। इरशाद कमिल के लिरिक्स शानदार, धनुष का लिखा तमिल सॉन्ग भी कूल। डायरेक्शन आनंद एल राय का मैच्योर है, लेकिन थोड़ा ओवरड्रामेटिक। राइटर्स हिमांशु शर्मा और नीरज यादव ने इमोशन्स को अच्छा बुना, लेकिन टॉक्सिकिटी को हैंडल नहीं कर पाए। बॉक्स ऑफिस पर ओपनिंग सॉलिड – 9.71 करोड़ पहले दिन, 18% ऑक्यूपेंसी, धनुष फैंस की वजह से। लेकिन सस्टेन करेगी या नहीं, देखना है।परफॉर्मेंस की तो बात ही छोड़ दे भाई! धनुष – जनरेशनल एक्टर, इंटेंस, रॉ, लेयर्ड – करियर बेस्ट। कृति ने ओवरशैडो कर दिया कई सीन में, ग्रेसफुल, स्ट्रॉन्ग। प्रकाश राज हार्टबीट, टोटा रॉय हैम कर गए थोड़ा। ओवरऑल, अगर तू धनुष फैन है तो मत चूकना, इमोशनल रोलरकोस्टर है। सिंगल है तो प्रपोज़ करने का मूड हो जाएगा, लेकिन टॉक्सिक रिलेशनशिप में हो तो थोड़ा सोच ले। मेरा रेटिंग: 3.5/5 ½ – पैसा वसूल, लेकिन फ्लॉडेड हार्ट।कुल मिला के भाई, 'तेरे इश्क़ में' एक ऐसी मूवी है जो प्यार की आग में जलाती है, लेकिन साथ ही सवाल भी छोड़ जाती है – क्या ये इश्क़ मुक्ति देता है या कैद? थिएटर से निकल के दोस्तों से डिस्कस किया, सबके अलग रिएक्शन – कोई बोला ब्लॉकबस्टर, कोई बोला आउटडेटेड। लेकिन धनुष-कृति की केमिस्ट्री, वो इंटेंस मोमेंट्स, वो म्यूज़िक – साल की बेस्ट इमोशनल लव स्टोरी में से एक। अब तू बता, देखने जा रहा है या पहले ट्रेलर से ही इश्क़ हो गया? टिकट बुक कर ले जल्दी, हाउसफुल हो जाएगी!

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