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कहानी

कुछ दिन पहले की बात हैं   एक गाँव मैं एक परिवार रहता था, बहुत ही सुखत से जिंदगी कट रही थी, घर मैं माँ -बाबा, एक भाई और एक बहन थी, बहन का रिश्ता एक बहुत ही अच्छे परिवार मैं लगा था कुछ महीने बाद बहन की शादी थी तो बाबा और भाई इंतेज़ाम करने मे लग गए, बाप मछुआरा था और बेटा भी अपने बाबा के साथ मछली पकड़ने जाता था, पर कुछ दिनों से मौसम ख़राब होने के कारण मछली का कारोबार रुक गया था, बाबा सोच मे पढ़ गए की बेटी की शादी हैं अगले महीने, पैसा और बहुत सारे शादी के सामान की ज़रुरत हैं कैसा होगा यह सब, बाबा को परेशान देख के बेटा को बहुत तकलीफ हो रहा था, ऐसे करते एक हफ्ता बीत गया पर मौसम जैसा का वैसा ही है। अब बेटा को बाबा की परेशानी देखि नहीं जा रही हैं तो वह पैसा का इंतेज़ाम के लिए घर से बाहर निकला और काम की तलाश करने लगा, रात होने को हैं पर बेटे का पता नहीं घर वाले सब बहुत परेशान हो गए, बाबा गाँव का कोना कोना देख चुके थे थक हार के घर वापस आगये, एक दिन बीत गया पर बेटे का पता नहीं माँ बहुत रोने लगी और बहन का भी यही हाल था, बाप बेचारा चाहते हुई भी कुछ नहीं कर पर रहा था एक तो बेटे का ना आने का गम, दूसरा बेटी की शादी के लिए पैसे का इंतेज़ाम करने की ज़िम्मेदारी और ऊपर से काम नहीं हो रहा था सारा गम एक साथ आया था बेचारे पे। फिर अचानक से फ़ोन की घंटी बाज़ी, बाबा ने फ़ोन उठा के पूछा कौन तो उधर से आवाज आयी बाबा यह सुन्न के बाबा की जान पे जान आयी पर गुस्से से फिर पूछा कहा हो तुम ऐसे कोई बिना बताये कोई जाता हैं, तो बेटे ने कहा बाबा मैं शहर आगया हुँ काम करने एक अच्छा काम मिला हैं और पैसा भी अच्छा मिल रहा हैं बहन की शादी के वक़्त मैं आजाऊंगा आप बस tyari करें मे यहाँ से पैसा भेज दूंगा, फिर फ़ोन रख दिया माँ ने कहा मुझे भी बात करना था, बाबा ने कहा घबराने की बात नहीं हैं हमारा बेटा सही सलामत हैं और वह शहर गया हैं काम करने। मौसम अगले दिन सही हुआ थोड़ा तो बाबा मछली पकड़ने निकल गए, शाम को घर वापस आये तो बहुत खुश थे माँ ने पूछा क्या बात हैं तो बाबा ने कहा बहुत शानदार मछली पकड़ाई हैं कुछ दिन ऐसा ही भगवान करें रहम करें तो सारी परेशानी दूर हो जाएगी पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था, दूसरे दिन सुबह खूब जोर से आधी चल रही थी और बारिश भी हो रहा था, गाँव मे लोग कहने लगे की तूफान आगया हैं यह सब कुछ बर्बाद कर देगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही धीरे धीरे तूफान और तेज़ हो गया, किसी का घर का छत उड़ रहा हैं किसी का जानवर,लोग घबरा के भागने लगे माँ- बाबा और बहन भी घर छोड़ के भाग रहे थे पर तूफ़ान के सामने इंसान की क्या औकाद सब को अपने साथ ले गए, पूरा गाँव का नामो निशान गायब हो गया। फिर अचनाक से गाली की आवाज मेरे कान को सुनाई दे रही थी, नालायक, कमीना उठ सुबह हो गया हैं जा के कुछ काम कर, माँ की कुटाई से ज़ब मेरी आँख खुली तब पता चला मैं तो सपना देख रहा था। और आपलोग भी अजीब हैं ज़ब बात कुछ दिनों की हैं तो अभी तो करोना काल चल रहा शहर  से लोग भाग के गाँव आगये हैं, अभी कौन गाँव से शहर जायगा 😀😀😀😀

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